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आखिर क्या होता है सच्चा प्रेम, भगवान बुद्ध ने बताई इसकी सबसे सटीक परिभाषा

महात्मा बुद्ध का नाम सिद्धार्थ था। उनका जन्म क्षत्रिय कुल राजवंश में हुआ था। उनके जन्म के समय ही ज्योतिषियों ने बताया था कि या तो यह शिशु सम्राट बनेगा या वैरागी। इसी भय के कारण उनके पिता शुद्धोधन ने उन्हें बचपन से ही किसी प्रकार के दुख एवं कष्टों से सदा दूर रखा।

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उनपर कभी कष्टों का साया तक नहीं पड़ा, इसी कारण उन्होंने बाल्यकाल से लेकर युवावस्था तक अत्यंत सुख सुविधाओं में व्यतीत किया। किंतु एक बार बाहर की यात्रा करते समय उन्होंने एक वृद्ध और कष्टों से जूझ रहे व्यक्ति को देखा और वहीं से उनका हृदय परिवर्तन हो गया।

एक बार महात्मा बुद्ध के शिष्य ने उनसे पूछा कि सच्चे प्रेम की आखिर क्या परिभाषा होती है। महात्मा बुद्ध ने अपने पास लगे पुष्प की तरफ इशारा किया और कहा कि यदि आप इस फूल को पसंद करेंगे, तो आप इसे तोड़ लेंगे किंतु यदि आप इस पुष्प को सच्चे हृदय से प्रेम करेंगे तो आप इसे तोड़ेंगे नहीं बल्कि प्रतिदिन पानी डालेंगे। आगे भी ऐसी ही ज्ञानवर्धक जानकारी पाने के लिए कृपया हमें फॉलो करें।

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