हमारे हिन्दू धर्म में भगवान की पूजा का बहुत महत्व होता है। जिससे हर कोई भगवान की कृपा प्राप्त करने के लिए अलग-अलग विधि से पूजा करते हैं। सभी भगवान की पूजा करने मंदिर जाते हैं और भगवान की पूजा करते हैं। भगवान की पूजा करते समय मंदिर की परिक्रमा करते हैं जिसका हिन्दू धर्म में बहुत महत्व होता है। हर कोई मंदिर में जाकर आरती के बाद 5 से 7 बार परिक्रमा लगाता है और कहते हैं कि बिना परिक्रमा के पूजा सफल नहीं माना जाता है। इसके साथ ही तुलसी को जल देते समय भी परिक्रमा करते हैं। अब आज हम आपको परिक्रमा करने के पीछे की मान्यता क्या है-
मान्यतानुसार जब भगवान गणेश जी और कार्तिकेय के बीच पूरी सृष्टि को चक्कर लगाने की शर्त लगी तो भगवान गणेश जी ने अपने माता-पिता के ही तीन चक्कर लगाएं और वह विजयी हुए क्योंकि पूरी सृष्टि माता-पिता के चरणों में हैं।
जिसके कारण ही सभी भगवान को माता-पिता मानकर हर कोई परिक्रमा लगाता है और कहते हैं कि माता-पिता कि परिक्रमा लगाने से भगवान माता-पिता के रूप में उस व्यक्ति के साथ बने रहते हैं, जोकि उनकी परिक्रमा करता है।
बता दें परिक्रमा लगाने से आर्थिक स्थिति सही होती है। बता दें मंदिर में परिक्रमा करने से भगवान की कृपादृष्टि हम पर बनी रहती है और आर्थिक स्थिति भी अच्छी रहती है। साथ ही घर में नकारात्मक शक्तियों का वास होता है। कहा जाता है ऐसे लोगों के साथ भगवान हमेशा साए की तरह बने रहते हैं।