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वास्तु के अनुसार घर का मेन गेट कैसा होना चाहिए?

घर का मेन डोर केवल आने-जाने के लिए ही नहीं होता बल्कि घर में नकारात्मकता और सकारात्मकता का भी प्रवेश द्वार होता है। अगर घर का दरवाजा बिलकुल सही दिशा में लगा है और सही है तो घर पर सदैव माँ लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है, परिवार में शांति रहती है। लेकिन अगर दरवाजा सही नहीं है तो लाइफ में कई परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।

वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर का कोना-कोना वास्तु नियम के अनुसार होना चाहिए। फिर चाहे वो मेन गेट ही क्यों ना हो। घर का मेन गेट बहुत अहम् होता है। इसीलिए इसके चुनाव में या लगवाते समय जरा भी लापरवाही नहीं करनी चाहिए। आज हम आपको वास्तु शास्त्र के नियमानुसार घर का मुख्य द्वार कैसा होना चाहिए? उस बारे में बता रहे हैं।

शास्त्र के अनुसार, घर का मुख्य दरवाजा हमेशा उत्तर, उत्तर-पूर्व या पश्चिम की ओर होना चाहिए, क्यूंकि ये दिशाएं शुभ होती है। दक्षिण, दक्षिण-पश्चिम, उत्तर-पश्चिम या दक्षिण-पूर्व दिशा में मकान का गेट नहीं होना चाहिए।

अगर दरवाजा घर में दक्षिण या दक्षिण-पश्चिम दिशा में लगा है तो उसपर शीशा या लीड हेलिक्स लगाकर प्रभाव को कम किया जा सकता है। जबकि दक्षिण-पूर्व दिशा में दरवाजा होने पर उसपर कॉपर हेलिक्स लगाकर प्रभाव कम किया जा सकता है।

मेन गेट का साइज

घर का मेन गेट घर के सभी अन्य दरवाजों से बड़ा होना चाहिए और यह क्लॉकवाइज तरीके से खुलना चाहिए। घर में एक लाइन में तीन दरवाजें नहीं होने चाहिए और ना ही मुख्य द्वार के समानांतर में होने चाहिए। ऐसा होना वास्तु दोष माना जाता है जिससे परिवार को कष्ट झेलना पड़ सकता है।

मेन गेट किस चीज का होना चाहिए?

किसी भी भवन में मुख्य दरवाजा लकड़ी का होना सबसे शुभ माना जाता है। लकड़ी का दरवाजा घर के लिए लाभकारी होता है। इसके अलावा द्वार की दिशा के अनुसार भी मेन गेट की धातु का चयन करना चाहिए।

  • दक्षिण में दरवजा : इस दिशा का दरवाजा हमेशा लकड़ी और धातु का मिश्रण होना चाहिए।
  • पश्चिम में दरवाजा : इस दरवाजे पर धातु का काम जरूर होना चाहिए।
  • उत्तर में दरवाजा : ऐसे दरवाजे में सिल्वर रिंग का अधिक इस्तेमाल करना चाहिए।
  • पूर्व में दरवाजा : इस दिशा में दरवाजा लकड़ी और सीमित धातु का बना होना चाहिए

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