सुखी वैवाहिक जीवन के लिए श्रीमद् भागवत गीता में बताई गई इन बातों का पालन करें
समय बदल रहा है और लोग रिश्ते को लेकर के भी अपनी धारणाये पूरी तरह से बदल रहे है. ये अपने आप में बड़ा ही तकलीफदेह है जब किसी का रिश्ता टूट जाता है और तलाक होता है. ये सब इसलिए होता है क्योंकि हम पाश्चात्य सभ्यता में डूबते जा रहे है और अपने धर्म के बताये मार्ग से भटक रहे है लेकिन अभी भी संभल जाए तो कोई देर नही हुई है. रिश्ते अपने आप में बड़े ही नाजुक से होते है और उन्हें सहेजकर के ही चलाना अच्छा माना जाता है.
चलिए फिर आज हम आपको बताते है गीता में बताये हुए कुछ एक थम्ब रूल जो आपको अपने रिश्ते में फोलो करने ही करने है. इनसे न सिर्फ आपका कभी तलाक नही होगा बल्कि आपका वैवाहिक जीवन अंत तक बेहद ही सुखमयी तरीके से ही व्यतीत भी होगा.
- एक दूसरे के प्रति सम्मान का भाव जरुर रखे. जो भी पति पत्नी एक दुसरे के प्रति सम्मान का भाव नही रखते है उनका रिश्ता कभी न कभी टूट ही जाता है.
- एक दुसरे पर विश्वास करना सीखे, कभी भी अविश्वास न जताए. जिन रिश्तो में भरोसा नही होता है वो रिश्ता कभी भी लम्बे समय तक कायम नही रखा जा सकता है.
- विश्वास करना जितना जरूरी है उतना ही जरूरी विश्वास को कायम रखना भी है इसलिए कभी भी अपने साथी के विश्वास को तोड़े नही.
- इसे लेकर के एक कथा का भी वर्णन है जिसमे राजा ययाति ने शुक्राचार्य की बेटी देवयानी से शादी की थी. ययाति की पत्नी देवयानी जिन दिनों में गर्भवती थी तब राजा ययाति ने देवयानी की ही दासी शर्मिष्ठा से सम्बन्ध बना लिये. शुक्राचार्य को जब इस बारे में पता चला तो उन्होंने ययाति को श्राप देकर के बूढा बना दिया. इसके बाद में ययाति और देवयानी का रिश्ता भी खराब हो गया.